“शिल्पे अनन्या त्रैमासिक बंगला पत्रिका” का 71 वीं अंक का विमोचन।

धनबाद : आज संध्या में लूबी सर्कुलर रोड धनबाद में “शिल्पे अनन्या” त्रैमासिक बंगला पत्रिका के संपादक प्रो. डॉ. दीपक कुमार सेन के आवासीय कार्यालय में “शिल्पे अनन्या” त्रैमासिक बंगला पत्रिका का 71 वीं अंक का विमोचन प्रो. डॉ. दीपक कुमार सेन के अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर मुख्यरूप से भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. काशी नाथ चटर्जी, श्रीमती बरनाली सेन गुप्ता, परेश नाथ बनर्जी , पार्थों सेनगुप्ता, भोला नाथ राम, विश्वजीत गुप्ता , कवि कनकन गुप्ता, गौतम आचार्जी, अभय सुंदरी विद्यालय की सचिव वंदना सिन्हा, वैशाखी चंद्र के करकमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर “शिल्पे अनन्या” के संपादक प्रो .डॉ. डी. के. सेन ने कहा कि हमें यह अपार हर्ष हो रहा है कि वर्ष 1977 से प्रकाशित होने वाला यह पत्रिका निरंतर जारी है , मुझे इस बात का भी हर्ष है कि आज के डिजिटल दुनिया में भी यह पत्रिका लगातार अपने अस्तित्व को बनाकर के रखा है। यह पत्रिका RNI और ISSN के द्वारा अनुमोदित झारखंड का एक मात्र बंगला पत्रिका है। इस बार का अंक बच्चों के बाल श्रम निषेध पर आधारित है, हम कह सकते हैं कि जिसमें विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखा गया है। प्रो. डॉ. काशी नाथ चटर्जी ने कहा कि मुझे हर्ष के साथ गर्व है कि मैं इस पत्रिका के साथ जुड़ पाया हूं इसमें भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त लेखक लिखते हैं। इस अंक में बच्चों के बाल श्रम निषेध पर आधारित है आज 12 जून को, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ILO घटकों और दुनिया भर के भागीदारों के साथ मिलकर विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस मनाता है। इस वर्ष का विषय प्राप्त प्रगति और वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्रवाई को तेज करने की तात्कालिकता दोनों को दर्शाता है। बरनाली सेनगुप्ता ने कहा कि “शिल्पे अनन्या” पत्रिका पूरे देश में लोकप्रिय है।

प्रसिद्ध लेखकों की रचना प्रकाशित होती है। ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के राज्य सचिव भोला नाथ राम ने कहा हमे पढ़ने की संस्कृति विकसित करना होगा। इसके साथ हु पिछले 50 वर्षों से हिमालय और पहाड़ों में भ्रमण करने वाले अरूप सिंहा ने कहा प्रकृति प्रेम मनुष्य को मानवता सिखाता है। “शिल्पे अनन्या” हमे पूरे दुनिया का सैर कराता है। आज के विमोचन कार्यक्रम का कवि कनकन गुप्ता द्वारा धन्यवाद के पश्चात समापन की गई। उपरोक्त कार्यक्रम को सफल करने में भोला सिंह आदि साथियों का सहयोग रहा।

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