गोड्डा : पथरगामा प्रखंड की पिपरा पंचायत के होपना टोला गांव में बारी पूजा संपन्न हुई। बारी पूजा के संबंध में टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार महतो ने बताया कि पूजा झारखंड के सभी गांव में या फिर दूसरे राज्यों में भी जहां गुस्टीधारी कुड़मि जनजाति के लोग रहते हैं वहां हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है बताया कि सावन महीना के संक्रांति से लेकर पूरे भादो माह तक मनाया जाने वाला त्योहार बारी पूजा है। इसे मानसा पूजा के नाम से भी जाना जाता है बारि का अर्थ पानी की पूजा है कहा की ऐसे तो इस क्षेत्र के आदिवासी मूलवासी सभी कोई इसे मानते हैं लेकिन कुड़मियों में मनसा पूजा का उल्लास कुछ और ही होता है। कुड़मी मूलतः कृषि पर जीवन यापन करने वाले जनजाति हैं। इनकी कृषि मुख्य रूप से वर्ष पर निर्भर करती है यदि वर्षा कम हुई तो कृषि का काम अधूरा रह जाता है। वर्षा अधिक होती है तो कृषि का काम समय पर पूरा कर लिया जाता है। ऐसी स्थिति में वह श्रावण माह के संक्रांति के दिन बारी पूजा/मनसा पूजा करते हैं यदि कृषि कार्य अधूरा रहा तो यह पर्व भादर माह के किसी भी दिन रोपा डोभा करने के बाद करते हैं। इस पूजा के पीछे कारण यह है कि खेतीबाड़ी का काम पानी के बिना असंभव है जब किसान पानी से संतुष्ट हो जाता है तो उसकी कृतज्ञता उपकार को पूजा करके प्रकृति महाशक्ति के प्रति अपने श्रद्धा निष्ठा को दर्शाता है।
इस पूजा में बेल पता, दुब घास, तुलसी पत्ता, आरवा चावल, पिठा, धान खइ अपने बाड़ी में उपजाए हुए मकई आदि को चढ़ाता है एवं बत्तख की बली देता है वर्तमान समय में लोग बकरी बकरा भेड़ा आदि भी बली दे रहे है लेकिन परंपरा में बत्तख का ही बलि देते थे बताया कि बारी प्रकृति रूपी महाशक्ति यानी पानी की पूजा है इसमें किसी प्रकार की मूर्ति की पूजा नहीं है आज से लगभग 150-200 वर्ष पूर्व देखा जाए तो लगभग सभी लोग पानी की ही पूजा करते थे। कुड़मी विकास मोर्चा के जिला कोषाध्यक्ष दीपक कुमार महतो, रामेश्वर महतो, दिव्यांश कुमार महतो, सोनी महतो, कलावती महतो, दीप्ति श्री महतो आदि लोग उपस्थित हुए।