ज्ञान विज्ञान समिति धनबाद का आठवां जिला सम्मेलन सम्पन्न।

गांधी सेवासदन (धनबाद) : आज दिनांक 11 अगस्त 2025 को ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड जिला इकाई धनबाद द्वारा ज्ञान विज्ञान समिति धनबाद का 8 वीं जिला सम्मेलन में शहीद खुदीराम बोस के 117 वीं शहादत दिवस, देशोम गुरु पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी का श्रद्धांजलि व पश्चिम बंग विज्ञान मंच द्वारा वैज्ञानिक जागरूकता का कार्यक्रम अध्यक्ष मंडली के राष्ट्रीय कार्यकारिणी रवि सिंह, शर्मिष्ठा सरकार, बालेश्वर बाउरी व रानी मिश्रा के अध्यक्षता में की गई तथा संचालन भोला नाथ राम द्वारा किया गया। इस अवसर मुख्यरूप से भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. काशी नाथ चटर्जी, राज्य उपाध्यक्ष हेमंत कुमार जायसवाल, वैज्ञानिक चेतना के राज्य अध्यक्ष प्रो. डॉ. दीपक कुमार सेन, राज्य कोषाध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद ठाकुर ,डॉ. सुनील सिंहा, विकास कुमार ठाकुर ,वरिष्ठ अधिवक्ता दीपनारायण भट्टाचार्य ,हेमंत मिश्रा तथा वैज्ञानिक जागरूकता में पुरुलिया से कल्याणी नंदी व सीमा साह मौजूद थे। इस अवसर पर शहीद खुदी राम बोस व पूर्व मुख्यमंत्रीय शिबू सोरेन जी के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की गई। जिला कार्यकारिणी बालेश्वर बाउरी द्वारा उपस्थित अतिथियों को स्वागत करते हुए कहा कि ज्ञान विज्ञान समिति साक्षरता का जन्म दाता रहा वहां से ही समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में सहयोग रहा। डॉ. काशी नाथ चटर्जी द्वारा आठवां जिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज मुझे बहुत खुशी हो रही है कि हम ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड जिला इकाई धनबाद का आठवां जिला सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे इस अवसर पर हम आज के दिन शहीद खुदीराम बोस को भी याद करते हैं, शहीद खुदी राम बोस भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक स्तंभ है। उनके बारे में हमें आज के सम्मेलन में बात करना बहुत जरूरी है क्योंकि आज उनका शहादत दिवस है। शहीद खुदीराम बोस (Khudiram Bose) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने बहुत कम उम्र में देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।इनका जन्म: 3 दिसंबर 1889, हबीबपुर गाँव, मिदनापुर जिला (वर्तमान पश्चिम बंगाल),इनको प्रेरणा: बाल गंगाधर तिलक और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के “आनंदमठ” उपन्यास से प्रभावित होकर कम उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ गए। शहादत: 11 अगस्त 1908 को केवल 18 वर्ष 8 महीने की उम्र में उन्हें फाँसी दी गई। महत्त्व: वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं और युवाओं के लिए साहस, देशभक्ति और बलिदान का प्रतीक बने। साथ साथ हम झारखंड आंदोलन के प्रणेता रूपकर जल जंगल जमीन के आंदोलन करने वाला झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनके अथक संघर्ष प्रयास और त्याग से ही झारखंड राज्य बना है, आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन हमें उनके आदर्शों को लेकर समाज में जन – जागरण अभियान चलाना होगा। ज्ञान विज्ञान समिति धनबाद का प्रथम जिला सम्मेलन 1992 में इंडियन स्कूल ऑफ माइंस केपेन मेन हाल में आयोजित किया गया था। उसके बाद ज्ञान विज्ञान समिति धनबाद लगातार धनबाद में साक्षरता आंदोलन, महिला सशक्तिकरण, वैज्ञानिक जागरूकता का काम स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार काम करता रहा इसके साथ-साथ पंचायती राज सशक्तिकरण पर भी काम किया। धनबाद जिला के साक्षरता आंदोलन में ज्ञान विज्ञान समिति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इस आंदोलन में 50000 स्वयंसेवक सम्मिलित हुए और 5 लाख लोगों को साक्षरता केंद्र में लाया। हम कह सकते हैं कि की साक्षरता आंदोलन ग्रामीण युवकों का आवाज बना। बड़े पैमाने पर महिलाएं आशा स्वास्थ्य कर्मी बनी हजारों नवयुवक पारा टीचर बने सैकड़ो पंचायत मुखिया और वार्ड मेंबर बने। हमें आगे लगातार काम करना है हमने Covid काल में सैकड़ो वॉलिंटियर्स को शिक्षित किया गरीबों के बीच काम किया समझ बनाने के लिए तीन-चार तरह का सर्वे किया और उसके आधार पर रणनीति बनाया। हमें ज्ञान विज्ञान संगठन को बहुत आगे लेकर जाना है हर गांव में ज्ञान विज्ञान समिति का संगठन बनाना है। उन्होंने वर्तमान सचिव भोला नाथ राम के कार्य पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि 14 वर्ष के उम्र में स्वयंसेवक के रूप में काम करते हुए जिला सचिव बना। यह कहते हुए डॉक्टर काशी नाथ चटर्जी ने सारे व्यक्तियों को शुभकामना देते हुए आठवीं जिला सम्मेलन के सफलता के कामना करते हुए अपना वक्तव्य को समाप्त किया। प्रो. डॉ. दीपक कुमार सेन द्वारा कहा गया कि आज के दिन विज्ञान आंदोलन को जन – जन तक पहुंचना है, हजारों स्वयं सेवकों का निर्माण करना है। मुमताज आलम द्वारा पिछले 20/25 वर्षों का यह लंबा सफर रहा है जिसमें ज्ञान विज्ञान समिति के द्वारा सामाजिक शोषण, अंधविश्वास, नशा मुक्ति जैसे अनेकों संघर्षों का इतिहास रहा है। ये सामाजिक कुरीतियां धीरे – धीरे समाज से दूर होगी। इसके लिए समाज में वैज्ञानिक चेतना का फैलाव जरूरी है। हेमंत कुमार जायसवाल द्वारा कहा गया कि आज के जिला सम्मेलन में सभी को क्रांतिकारी अभिनंदन, आज विभिन्न प्रखण्ड सम्मेलनों के पश्चात जिला सम्मेलन का आयोजन है जो खुशी की बात है। अधिवक्ता दीपनारायण भट्टाचार्य द्वारा कहा गया कि आज ज्ञान विज्ञान की जितनी भी बात की जाए ओ कम है क्योंकि समाज में अंधविश्वास एवं कुरीतियां फैला हुआ है, इसे शिक्षा से ही दूर किया जा सकता है, इसके लिए संगठन हमेशा से प्रयासरत रहा। उपरोक्त वक्ताओं द्वारा अपना विचार रखे। इसके पश्चात पुरुलिया टिम द्वारा अंधविश्वास व डायन पर गतिविधियां दिखाई गई। राजनरायन तिवारी व मो. हकीमुद्दीन द्वारा सामाजिक गीत प्रस्तुत की गई। सम्मेलन को आगे बढ़ाते हुए सचिव भोला नाथ राम द्वारा पिछले पांच वर्षों का प्रतिवेदन रखते हुए कहा कि ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड जिला इकाई धनबाद द्वारा आयोजित प्रमुख गतिविधियां जनवरी 2020 से 9 अगस्त 2025 तक इस प्रकार है :- 1. कोविड काल के दौरान ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा धनबाद Covid -19 से बचाव हेतु ऑनलाइन लाइन 900 स्वयं सेवकों, विद्यालय के छात्र – छात्राओं को प्रशिक्षित किया गया। खरिकाबाद में कोविड काल में आम जनों को सहयोग के लिए सामुदायिक रसोई में 54 दिनों तक प्रतिदिन 250 से 350 लोगों का भोजन व्यवस्था व Covid को लेकर जागरूकता व बचाव हेतु अभ्यास कराया जा रहा था। असंगठित मजदूर के महिलाएं, बच्चे व वृद्धा आदि लोग लाभुक थे। भोजन व्यवस्था के लिए सहयोग गोंदूडीह पुलिस व समुदाय के सहयोग से आयोजित थी। Covid – 19 से बचाव व जागरूकता अभियान धनबाद, बलियापुर, गोविंदपुर, तोपचांची, बाघमारा व टुंडी आदि प्रखंडों के 150 पंचायतों में अभियान के तहत समुदाय को सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धोने के तरीके, सेनिटाइजर का उपयोग, मास्क वितरण एवं इसका प्रयोग बताया गया। 2. कोविड काल के समय चार प्रखंडों में 322 प्रवासी मजदूरों का सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण उपरांत प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत पंजीयन कर कार्य दिलाने में सहायता की गई। कोविड काल के पश्चात् जिला प्रशासन के सहयोग से “हरित ग्राम योजना के तहत” ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा धनबाद, बाघमारा, टुंडी, तोपचांची में 300 से अधिक किसान, महिलाएं, कृषक, मुखिया, वार्ड सदस्य आदि को आदि को प्रशिक्षण दिया गया। ये सभी अपने – अपने पंचायतों में बागवानी सखी व कृषक मित्र के रूप में कार्य किए। 3. कोविड काल के बाद विद्यालय बंद थे और छात्र – छात्राओं को ऑन लाइन के माध्यम से शिक्षा दी जा रही थी। ऑन लाइन शिक्षा की स्थिति को जानने के लिए समिति द्वारा 640 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया।” विद्यालय जाने वाले बच्चे व उनके परिवार के स्थिति “को लेकर “। सर्वेक्षण में निकल कर आया कि ज्यादातर बच्चों के पास अपना इंटरनेट मोबाईल नहीं है, जिसके कारण वो ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। इसकी कमियों को दूर करने के लिए खेत – खलिहान में समिति के स्वयं सेवकों द्वारा बच्चों को पढ़ाना शुरू किया गया। 4. कोविड काल II में तीन प्रखंडों में दो परिवारों को सूखा राशन एस. सी. व एस. टी तथा प्रवासी मजदूरों के परिवार को वितरण किया गया और कोरोन्टाइन केंद्र में भर्ती लोगों को पुस्तक पढ़ने के लिए समिति द्वारा 8000 मूल्य की किताबों का वितरण किया गया। इसके साथ ही कोविड 19 से बचाव व सुरक्षा को लेकर टिकाकरण के लिए समुदाय में प्रचार – प्रसार किया गया। 5. खेत – खलिहान में शिक्षा पहल को देखते हुए यूनिसेफ रांची कार्यालय में समिति को 5 जिलों के गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, पलामू व दुमका के कुल 100 पंचायतों में समुदाय शिक्षण केंद्र चलाने के लिए सहयोग दिया गया। जिसके तहत धनबाद प्रखण्ड के 10 पंचायतों में भी शिक्षण केंद्र चलाए गए। इसमें समिति के स्वयं सेवकों द्वारा बच्चों को शिक्षा, विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों एवं अविभावकों को प्रेरित कर बच्चों को विद्यालय भेजना तथा प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों को शिक्षण कार्य में सहयोग करना मुख्य कार्य था। 6. कोविड काल के पश्चात् सरकारी विद्यालयों की स्थिति का आकलन करने के लिए समिति द्वारा धनबाद जिले के 16 विद्यालयों का सर्वेक्षण किया गया। धनबाद के अलावा गिरिडीह, पलामू, बोकारो, दुमका, देवघर, कोडरमा, गढ़वा जिले के कुल 100 विद्यालयों में किया गया। सर्वेक्षण में यह निकला की ज्यादातर बच्चे कोविड के बाद पढ़ाई भूल गए है। विद्यालयों में शौचालय की स्थिति खराब है। 40% विद्यालयों में एकल शिक्षक थे। इसे लेकर रांची में एक प्रेस वार्ता की गई। जिसमें प्रसिद्ध अर्थ शास्त्री प्रो. ज्यों द्रेज व भारत ज्ञान विज्ञान समिति के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव डॉ. काशी नाथ चटर्जी , राज्य अध्यक्ष, राज्य महासचिव आदि सदस्य मौजूद थे।7. समिति द्वारा धनबाद जिले के खरिकाबाद एवं सिंदरी के स्लम क्षेत्र में 100-100 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सरकारी योजनाओं की पहुंच आदि मुद्दों पर किया गया था। सर्वेक्षण में पेयजल की समस्या, घरों में शौचालय न होना व घर के खर्च ज्यादा व आमदनी कम थी। ऑनलाइन सर्वेक्षण में तकनीकी सहयोग प्रो. अंतरिम चक्रवर्ती (पूर्व सलाहकार, उड़ीसा सरकार) के द्वारा था। 8. धनबाद जिला इकाई द्वारा AIPSN की राष्ट्रीय कृषि डेस्क की विस्तारित बैठक एवं भारत ज्ञान विज्ञान समिति की 11 वीं जेनरल कौंसिल की बैठक धनबाद में आयोजित करने में सहयोग रहा था। 9. पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर के पुण्यतिथि एवं जयंती पर धनबाद जिला इकाई द्वारा बाइक यात्रा, विचार गोष्ठी आदि कार्यक्रम का आयोजन नंदन कानन (करमाटांड़, जामताड़ा) में की जाती थी। 10. वैज्ञानिक चेतना जागरूकता अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष 20 अगस्त डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के शहादत दिवस पर राष्ट्रीय वैज्ञानिक चेतना दिवस के रूप में मनाया जाता है । जिसमें रसोई में विज्ञान , अंध विश्वास निवारण , वैज्ञानिकों के जीवन पर चर्चा आदि का आयोजन किया जाता है।

उपरोक्त के अलावा निम्नांकित तिथियों पर प्रत्येक वर्ष कार्यक्रम आयोजित होती है :- i) 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती, ii). 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस,iii). 30 जनवरी गांधी जी की पुण्यतिथि,iv). 21 फरवरी को मातृ भाषा दिवस, v). 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस vi). 23 मार्च को भगत सिंह का शहादत दिवस, 14 अप्रैल को बाबा साहेब आंबेडकर जयंती, vii). 1 मई मजदूर दिवस,viii). 30 जून हुल दिवस, ix). 12 जुलाई स्व. विश्वनाथ बागी जी का पुण्यतिथि,x). 3 अगस्त को विज्ञान शिक्षिका सह सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत सुजाता सिंदरी के स्मरण दिवस में विभिन्न कार्यक्रम, xi). 11 अगस्त शहीद खुदीराम बोस का शहादत दिवस,xii). 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस, xiii). 20 अगस्त को राष्ट्रीय वैज्ञानिक चेतना दिवस ” डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के शहादत दिवस पर, xiv). 5 सितम्बर शिक्षक दिवस ,xv). 8 सितम्बर साक्षरता दिवस, xvi). 1 अक्टूबर को स्व. विश्वनाथ बागी का जन्म दिवस,xvii). 2 अक्टूबर गांधी जी व लाल बहादुर शास्त्री जी के जयंती xviii). 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा जी का जयंती xix). 22 दिसंबर भारत ज्ञान विज्ञान समिति का स्थापना दिवस आदि कार्यक्रम की जाती रही है। नई जिला कार्यकारिणी में अध्यक्ष* – दीपनारायण भट्टाचार्य, *वरीय उपाध्यक्ष* – बालेश्वर बाउरी, *उपाध्यक्ष* – विकास कुमार ठाकुर, सरस्वती देवी, मो. हकीमुद्दीन अंसारी, *सचिव* – भोला नाथ राम *संयुक्त सचिव*- राजू बाउरी,गणेश मंडल, मनोज महतो, रानी मिश्रा, मधेश्वर नाथ भगत, *कोषाध्यक्ष*- सोमा नियोगी,*सह कोषाध्यक्ष* – संजीत भंडारी , गोविंद रवानी , कार्यकारिणी सदस्य में रामा शंकर प्रसाद, सुरेश दास, शंकर पासवान, प्रेम शर्मा, चंदा देवी, सविता कुमारी, इबादुल रहमान, नीलम देवी, नर्सिंग महतो, नरेंद्र महतो, मो. मुकीम शेख, रीना देवी, कमल महतो, प्रमिला देवी, अनामिका तिवारी, झरना गुहा, निरंजन ठाकुर, महफूज आलम, शशि भूषण पासवान, मैत्री गुप्ता, रंजना कुमारी व जय मजूमदार। *संरक्षक मंडली* प्रो. डॉ. डी. के. सेन, डॉ. सुनील सिंहा प्रो. अपर्णा, हेमंत मिश्रा, प्रो. सरफुद्दीन अंसारी, उमेश गोस्वामी, ए. बी. आचार्य चुने गए। उपरोक्त कार्यक्रम में कृष्णा पासवान, अशोक कुमार, रजनीकांत मिश्रा, परेश चंद्र बाउरी, मधेश्वर नाथ भगत, रत्न सिन्हा, मनोज महतो, गणेश मंडल, निरंजन ठाकुर, संजीत कुमार भंडारी, मुकेश कुमार, राज नारायण तिवारी, मैत्री गुप्ता, मो. हकीमुद्दीन, महफूज आलम, मुकेश कुमार, शर्मिष्ठा सरकार, तपन सरकार आदि का सहयोग रहा।

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